Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -30-May-2022 - शब्द



गर शब्दों के पंख होते,
पिंजरे में न ये कैद होते,
होती अधरों पर मुस्कान,
उन्मुक्त से ये उड़ते जाते।
गर शब्द होते मेरे पंख,
सनम तुझको रखते संग,
धड़कनों में बसाते तुझको,
सांसों में बसते जैसे शंख।
गर शब्दों को गढ़ना आता मुझे,
पिया मेरा काव्य रस भाता तुझे,
उड़ चलते तुम भी मेरे साथ, 
ना रहते तुम यूं ही बुझे बुझे।
गर शब्दों से न होती पहचान,
न किसी को देते यह सम्मान,
पत्थर पर पड़ता बल हो जैसे, 
तूफानों से बचा नहीं पाते जान।
गर शब्द होते मेरे निर्मल धारा ,
होता शैय्या पर ये जीवन वारा, 
रेत पर लिखे शब्दों सा मिटाते, 
जिंदगी का पाठ पढ़ते सारा।।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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8 Comments

Barsha🖤👑

03-Jun-2022 04:40 PM

Nice

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Shnaya

31-May-2022 09:23 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Shrishti pandey

31-May-2022 09:20 AM

Nice

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